कंधार विमान अपहरण पर एस. जयशंकर की प्रतिक्रिया

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में 1999 में हुए कंधार विमान अपहरण (IC-814) पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे भारतीय कूटनीति और सुरक्षा के इतिहास में एक अत्यंत कठिन और चुनौतीपूर्ण घटना बताया।

जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट IC-814 के अपहरण ने देश को एक गहरे संकट में डाल दिया था, जहां यात्रियों की सुरक्षा और आतंकवादियों की मांगों के बीच संतुलन बनाना बेहद कठिन था। उन्होंने कहा कि यह घटना भारतीय कूटनीतिक तंत्र के लिए एक गंभीर परीक्षा साबित हुई थी, जिसमें तत्कालीन सरकार और अधिकारियों ने एक जटिल और संवेदनशील स्थिति का सामना किया।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि उस समय की स्थिति इतनी जटिल थी कि आतंकवादियों की मांगों को ठुकराना यात्रियों की जान को खतरे में डाल सकता था। जयशंकर ने कहा कि इस घटना से भारत ने महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं, विशेषकर आतंकवाद और अपहरण जैसी घटनाओं से निपटने के लिए भविष्य की रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता को समझा।

उन्होंने आगे कहा कि कंधार अपहरण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए कूटनीति की भूमिका को और मजबूत किया है। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने इस घटना के बाद से अपनी सुरक्षा और कूटनीतिक प्रतिक्रियाओं को और सुदृढ़ किया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

कंधार अपहरण के संदर्भ में उनकी टिप्पणी ने यह स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सतर्क है और इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए अब बेहतर तरीके से तैयार है।

कंधार विमान अपहरण (IC-814) का समाधान

1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 का अपहरण एक बेहद जटिल और संवेदनशील स्थिति थी, जिसका अंत यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समझौते के रूप में हुआ। अपहरणकर्ताओं ने विमान को कंधार, अफगानिस्तान ले जाकर भारत सरकार से तीन प्रमुख आतंकवादियों की रिहाई की मांग की।

इस घटना का समाधान तब हुआ जब भारतीय सरकार ने यात्रियों की जान बचाने के लिए अपहरणकर्ताओं की मांगों को मान लिया। भारतीय अधिकारियों ने तीन आतंकवादियों – मौलाना मसूद अज़हर, मुश्ताक अहमद ज़रगर, और ओमर शेख – को रिहा किया। इसके बदले में अपहरणकर्ताओं ने विमान में बंधक बनाए गए सभी यात्रियों को छोड़ दिया।

यह समझौता काफी विवादास्पद रहा, क्योंकि आतंकवादियों की रिहाई से भविष्य में आतंकी गतिविधियों का खतरा बढ़ गया था। हालांकि, तत्कालीन भारतीय सरकार ने इसे एक कठिन लेकिन जरूरी निर्णय बताया, क्योंकि बंधकों की जान बचाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता थी।

कंधार अपहरण का समाधान एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने भारत की सुरक्षा और कूटनीति को मजबूत करने के लिए कई नई रणनीतियों को जन्म दिया।

निष्कर्ष:

IC-814 के अपहरण ने भारत को गहरे संकट में डाल दिया और यह घटना आज भी आतंकवाद से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण मानी जाती है।

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