सामाजिक दबाव और संगति का प्रभाव - अक्सर युवा या किशोर मित्रों के दबाव में धूम्रपान शुरू कर देते हैं। साथियों का प्रभाव और सामूहिक व्यवहार उन्हें धूम्रपान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
तनाव और मानसिक दबाव - कुछ लोग अपने जीवन के तनाव, चिंता या भावनात्मक समस्याओं से बचने के लिए धूम्रपान करते हैं। धूम्रपान में निकोटिन होता है, जो कुछ समय के लिए राहत महसूस कराता है, लेकिन यह आदत बन सकती है।
जिज्ञासा और प्रयोग - कई बार लोग धूम्रपान को नई चीज़ के रूप में आजमाने की कोशिश करते हैं। ये जिज्ञासा अक्सर किशोरावस्था या युवा अवस्था में अधिक होती है।
परिवार और आसपास का माहौल - यदि परिवार या आस-पास के लोग धूम्रपान करते हैं, तो इसका प्रभाव बच्चों पर भी पड़ सकता है। बच्चे या किशोर इसे सामान्य मानकर खुद भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।
मीडिया और विज्ञापन- सिनेमा, टेलीविज़न और विज्ञापनों में धूम्रपान को अक्सर आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे लोग इसे एक स्टाइल स्टेटमेंट मान सकते हैं और इसका अनुसरण कर सकते हैं।
निकोटिन की लत- निकोटिन एक नशीला पदार्थ है, और एक बार व्यक्ति इसे नियमित रूप से लेने लगता है, तो इसका आदी हो सकता है। इससे छुटकारा पाना कठिन हो सकता है और लोग इसे आदत बना लेते हैं।